देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर https://shivchalisas.com