लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ https://shivchalisas.com